Friday 12 June 2015

तिजोरी में रखूँगा.... बरकत बनाकर !




“रिश्तों की आड़ में नए दर्द दे गए
हैरत में हूँ मैं, कैसे मुझे लोग मिले हैं॥”
सुनो सखिया...
मन जैसे एक घुप्प अंधेरा कोना,
किसी सीलन भरे कमरे का
और मैं .....
बस एक छाया देह से दूर !
लगता है जैसे नींद में था
और पलंग से नीचे गिर पड़ा अचानक !!
...पथरीली सतह पर
कोहनी, घुटने, पीठ सब छिल गए।
रूई का फाहा लेकर ज़ख्म सहलाने की कोशिश की
तो पता चला कि सारे घाव भीतर के हैं
ऊपर से कुछ नहीं हो सकता।
ऐसे ही लोगों, ऐसे अनुभवों से गुज़रा हूँ मैं पिछले कुछ हफ़्ते !!!

और तुम हो कि मुझे और-और सता रही हो।
पता नहीं बीच-बीच में तुम्हें क्या हो जाता है
मैंने अक्सर देखा है
जब-जब तुम टूट कर प्यार करती हो
तब-तब एक अजीब सी बेचैन उदासी से घिर जाती हो।
और फिर...
मैं चाह कर भी तुम तक नहीं पहुँच पाता
एक अजीब घेरा बना लेती हो तुम
चुप्पी का घेरा
अजनबियत का घेरा
हज़ारहा जतन भी नहीं दाखिल हो पाते उस घेरे में
उफ़्फ़ जानिया !!!

इश्क़ का ये पहलू कितनी पीड़ा देता है।

your love is miss call ….
n mine is received one !!!

कल जब तुमने ये मैसेज किया तो मैं हतप्रभ था।
क्योंकि उसके बाद तुम देर तक WhatsApp पर online होकर भी चुप रहीं
और मैं तुम्हें देख कर छटपटता रहा।
सच कहूँ तो मैं पूरे चौबीस घंटे बीत जाने के बाद भी इसका मतलब नहीं समझ पाया।
हाँ इतना ज़रूर याद है
कि पूरी एक रात करवटों के बूते काटने के बाद
सुबह ठीक दस बजकर चौदह मिनिट पर तुम्हारा मैसेज आया

“ किसी को मनाने से कोई छोटा हो जाता है क्या ?
तुम्हारे ख़त की राह तक रही हूँ ... रे पीहू! ”

याद है....
बारिशों के मौसम में एक बार तुम बड़ी बीमार हुयी थी।
और जब ठीक हुईं
तो हम पुष्कर गए थे साथ-साथ घूमने।  
मेरे बहुत ज़िद करने पर
तुमने वहाँ एक काला धागा बांध लिया था अपने बाएँ पैर में,
ताकि नज़र न लगे।
पिछले कुछ समय से वो धागा नहीं दिखा तुम्हारे पैर में
एंकलेट जैसा,
सुंदर गुंथा हुआ धागा।
मुझे पक्का यकीं है
तुमने भले ही उस धागे को उतार दिया हो
मगर फेंका नहीं होगा
तुम्हारी कत्थई कबर्ड में वो अब भी सहेजा हुआ होगा।

सुनो न ...
इस बार जब मिलो तो वो काली डोर की गुछली लेती आना
मेरे लिए .....
मैं उसे अपनी तिजोरी में रखूँगा
...बरकत बना कर !
और हमारा प्यार भी महफ़ूज़ रहेगा
आस-पास की अला-बला से।
लाओगी ना ?

तुम्हारा

देव   





















No comments:

Post a Comment